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अमर रहे यह देश / रघुवीरशरण मित्र
Kavita Kosh से
अमर रहे यह देश हमारा, अमर रहे।
चलोदेश का मान बढ़ाते बढ़े चलें,
अंधकार में दीप जलाते बढ़े चलें।
हम श्रम से मिट्टी को सोना कर देंगे,
हम फूलों से बाग देश का भर देंगे।
प्यारा-प्यारा देश हमारा, अमर रहे,
हम सूरज बनकर घर-घर में धूप भरें,
हम झरनों की तरह देश में हँसा करें।
पेड़ों से हम सीख चुके छाया देना,
पर्वत से हमको आता पानी लेना।
बढ़ने वाला कदम हमारा, अमर रहे,
अमर रहे यह देश हमारा अमर रहे।
हम फूलों के लिए पेड़ बन आए हैं,
हम पेड़ों के लिए नीर भर लाए हैं।
हम धरती पर नई चाल से बढ़े चलें,
हम औरों के लिए सूर्य से अधिक जलें।
अपने बल का हमें सहारा, अमर रहे,
अमर रहे यह देश हमारा, अमर रहे।