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अमूल्य रतन उसके धौरे / रणवीर सिंह दहिया

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साधु बाबा के पास अमूल्य रतन था। उसे बाबा से हथिया कर क्रान्तिकारी हथियार खरीदना चाहते थे। सलाह की। बाबा की कुटी देखने गये। मगर कई आदमी मारे जाने के भय से उन्होंने यह योजना नहीं बनाई। आजाद और क्रान्तिकारी किसी के जीवन से खिलवाड़ नहीं करते थे। क्या बताया भला:

तर्ज: चौकलिया

अमूल्य रतन उसके धौरे साधू का बेरा पाड़ लिया॥
गंगा जी के घाट कुटिया राह गोन्डा ताड़ लिया॥

बैठ कै बतलाये सारे बाबा जी पै रतन ल्यावां
बेच कै उसनै हथियारां का हम भण्डार खूब बढ़ावां
योजना बना घणी पुख्ता रात अन्धेरों मैं जावां
डरा धमका बाबा जी नै योजना सिरै चढ़ावां
सोच हथियारां का फेर थोड़ा घणा जुगाड़ लिया॥
गुलाबी ठण्ड का मौसम रात जमा अन्धेरी थी
अन्ध्ेारे बीच चसै दीवा छटा न्यारी बखेरी थी
रात नौ बजे भगतां की संख्या उड़ै भतेरी थी
चरस की चीलम चालैं दुनिया तै आंख फेरी थी
गांजा पीवैं जोर लगाकै कर घर कसूता बिगाड़ लिया॥
राजगुरु आजाद नै तुरत स्कीम एक बनाई थी
शामिल होगे साधुआं मैं चीलम की बारी आई थी
मारी घूंट अपणी बारी पै देर कति ना लाई थी
चीलम पीगे जिननै कदे बीड़ी ना सुलगाई थी
सारी बात निगाह लई देख कुटी का कबाड़ लिया॥
वापिस आकै न्यों बोले काम नहीं सै होवण का
माणस घणे मारे जावैंगे माहौल बणैगा रोवण का
रतन बदले इतने माणस तुक नहीं सै खोवण का
चालो उल्टे चालांगे समों नहीं जंग झोवण का
रणबीर नहीं आजाद नै जीवन से खिलवाड़ किया॥