अरे रे अरे ये क्या हुआ मैंने न ये जाना / आनंद बख़्शी
अरे रे अरे ये क्या हुआ, मैंने न ये जाना
अरे रे अरे बन जाए ना, कहीं कोई अफ़साना
अरे रे अरे कुछ हो गया, कोई न पहचाना
अरे रे अरे बनता है तो, बन जाए अफ़साना
हाथ मेरा थाम लो, साथ जब तक हो
बात कुछ होती रहे, बात जब तक हो
सामने बैठे रहो तुम, रात जब तक हो
अरे रे अरे ये क्या हुआ, मैंने न ये जाना
नाम क्या दें क्या कहें, दिल के मौसम को
आग जैसे लग गई, आज शबनम को
ऐसा लगता है किसी ने, छू लिया हमको
अरे रे अरे ये क्या हुआ, मैंने न ये जाना
तुम चले जाओ ज़रा, हम सम्भल जाएँ
धड़कनें दिल की कहीं, ना मचल जाएँ
वक़्त से आगे कहीं ना, हम निकल जाएँ
अरे रे अरे कुछ हो गया, कोई न पहचाना
हममें तुममें कुछ तो है, कुछ नहीं है क्या
और कुछ हो जाए तो, कुछ यक़ीं है क्या
देख लो ये दिल जहाँ था, ये वहीं है क्या
अरे रे अरे ये क्या हुआ, मैंने न ये जाना
याद कुछ आता नहीं, ये हुआ कबसे
हो गया मुश्क़िल छुपाना, राज़ ये सबसे
तुम कहो तो माँग लूँ मैं, आज कुछ रब से
अरे रे अरे ये क्या हुआ, कोई न पहचाना
सामने हैं रास्ते, हम गुज़र जाएँ
या किसी के वास्ते, हम ठहर जाएँ
अब यहाँ तक आ गए हैं, अब किधर जाएँ
अरे रे अरे कुछ हो गया, कोई न पहचाना
अरे रे अरे बनता है तो, बन जाए अफ़साना