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अर्ज़-ए-नाज़-ए-शोख़ी-ए-दंदाँ बराए-ख़ंदा है / ग़ालिब

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अर्ज़-ए-नाज़-ए-शोख़ी-ए-दंदाँ बराए-ख़ंदा है
दावा-ए-जमियत-ए-अहबाब जा-ए-ख़ंदा है

है अदम में ग़ुंचा महव-ए-इबरत-ए-अंजाम-ए-गुल
यक-जहाँ ज़ानू तअम्मुल दर-क़फ़ा-ए-ख़ंदा है

कुल्फ़त-अफ़्सुर्दगी को ऐश-ए-बेताबी हराम
वर्ना दंदाँ दर दिल अफ़्शुर्दन बिना-ए-ख़ंदा है

शोरिश-ए-बातिन के है अहबाब मुनकिर वर्ना याँ
दिल मुहीत-ए-गिर्या ओ लब आशना-ए-ख़ंदा है

ख़ुदा-फ़रोशी-हा-ए-हस्ती बस-कि जा-ए-ख़ंदा है
हर शिकस्त-ए-क़ीमत-ए-दिल में सदा-ए-ख़ंदा है

नक्‍श-ए-इबरत दर नज़र या नक़्द-ए-इशरत दर बिसात
दो-जहाँ वुसअत ब-क़द्र-ए-यक-फ़जा-ए-ख़ंदा है

जा-ए-इस्तिहज़ा है इषरत-कोशी-ए-हस्ती ‘असद’
सुब्ह ओ शबनम फ़ुर्सत-ए-नश्‍व-ओ नुमा-ए-ख़ंदा है