Last modified on 16 सितम्बर 2016, at 23:49

अर्थ है मूल भली तुक डार / दीन

अर्थ है मूल भली तुक डार सुखच्छर पत्र को पेखिकै जीजै।
छन्द है फूल नवोरस हैँ फल दान के वारि सोँ सीँचिबो कीजै।
दीन कहै योँ प्रवीनन सोँ कवि की कविता रसराखि के पीजै।
कीरति के बिरवा कवि हैँ इनको कबहूँ कुम्हिलान न दीजै।

दीन का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।