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अलग-अलग दिखते हैं / रसूल हमज़ातफ़ / साबिर सिद्दीक़ी

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अलग-अलग दिखते हैं शहर सब
अलग हैं लोग और घर, स्मारक ।
एक समान होते हैं सदा, बस,
सारे कवि, विद्यार्थी, बालक ।

कहीं भी हों दुनिया में चाहे
मुझे हैं प्यारे इसी वजह से
मेरे देशवासी हों मानो
सारे कवि, विद्यार्थी, बच्चे ।

रूसी भाषा से अनुवाद : साबिर सिद्दीक़ी