अलग होना चाहती हो 
क्यों मेरा दिल तोड़कर? 
छोड़ तो दोगे, मैं समझा-
क्या मिलेगा छोड़कर। 
माफ कर देना मुझे 
यदि हो गई गलती कोई, 
मिलके मुसका दो ज़रा-
पर यूँ न जा मुँह मोड़कर। 
मैं रहूँ या ना रहूँ-
मेरा प्यार बस जिंदा रहे। 
मैं पराया हो भी जाऊँ-
फिर भी तू अपना कहे। 
तोड़कर जो दर्द दे-
तारीफ उसकी क्या करूँ, 
काबिले तारीफ गम दी 
तूने तो दिल जोड़कर। 
लाख तोड़ोगे न टूटेगा कभी 
ये दिल मेरा, 
एक गम क्या-
इसमें तो तेरे गम का है सागर भरा। 
अभी तो जिंदा हूँ मैं, 
भूलो-कि जब मैं मर सकूँ, 
अभी मत भूलो मुझे-
तुझे क्या मिलेगा भूलकर।