अलिकसान्दर वरलामफ़ के लिए / अपअललोन ग्रिगोरिइफ़ / वरयाम सिंह
(कविता भेजते हुए)
हृदय से निकली ये ध्वनियाँ
समर्पित रहेंगी तुम्हें,
विक्षिप्त विश्वास और दुखों के सुख में,
सम्भव है बराबर हों हम दोनों ।
सम्भव है, हम दोनों की एक-सी ही हो नियति
कष्ट झेलते रहें, माँग न करें आराम की,
हम दोनों एक बराबर अभ्यस्त हैं
भले को भूलने में, न कि समझने में ।
हाँ, ऐसा ही है यह ! तुम्हारे उदास गीतों में
सुनाई दिए थे लोभी और पागल आशाओं के स्वर,
स्वर गहरे अवसाद के,
बीते समय की यादों के ।
1845
- अलिकसान्दर वरलामफ़ — तत्कालीन रूसी संगीतकार, गायक और संगीत-समीक्षक।
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह
और लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Аполло́н Григо́рьев
А.Е. Варламову
(При посылке стихотворений)
Да будут вам посвящены
Из сердца вырванные звуки:
Быть может, оба мы равны
Безумной верой в счастье муки.
Быть может, оба мы страдать
И не просить успокоенья
Равно привыкли — и забвенье,
А не блаженство понимать.
Да, это так: я слышал в них,
В твоих напевах безотрадных,
Тоску надежд безумно жадных
И память радостей былых.
1845 г.