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अवध आजु आगमी एकु आयो / तुलसीदास

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राग बिलावल

अवध आजु आगमी एकु आयो |
करतल निरखि कहत सब गुनगन, बहुतन्ह परिचौ पायो ||
बूढ़ो बड़ो प्रमानिक ब्राह्मन सङ्कर नाम सुहायो |
सँग सिसुसिष्य, सुनत कौसल्या भीतर भवन बुलायो ||
पायँ पखारि, पूजि दियो आसन असन बसन पहिरायो |
मेले चरन चारु चार्यो सुत माथे हाथ दिवायो ||
नखसिख बाल बिलोकि बिप्रतनु पुलक, नयन जल छायो |
लै लै गोद कमल-कर निरखत, उर प्रमोद न अमायो ||
जनम प्रसङ्ग कह्यो कौसिक मिस सीय-स्वयम्बर गायो |
राम, भरत, रिपुदवन, लखनको जय सुख सुजस सुनायो ||
तुलसिदास रनिवास रहसबस, भयो सबको मन भायो |
सनमान्यो महिदेव असीसत सानँद सदन सिधायो ||