1. 
तुम मरते हो तब जब मर जाती है तुम्हारी आत्मा। 
अन्यथा तुम रहते हो जीवित। 
हो सकता है तुम न कर पाओ इसका सदुपयोग, किन्तु यह चलती रहती है 
कुछ ऐसा जिसके बारे में नहीं है तुम्हारे पास कोई विकल्प। 
जब मैंने बताया यह अपने बच्चों को 
उन्होंने नहीं दिया बिलकुल ध्यान। 
वे सोचते हैं कि बूढ़े लोग 
यही करते हैं हमेशा; 
बतियाते हैं उन चीजों के बारे में जिन्हे देख नहीं सकता कोई 
मस्तिष्क की उन सारी कोशिकाओं को छुपाने की ख़ातिर जिन्हें वे खो रहे होते हैं। 
वे आँख मरते है एक दूसरे को; 
सुनो बुढऊ को बतियाते आत्मा के बारे में
क्यों कि वह अब याद नहीं रख सकते कुर्सी के लिए शब्द। 
बहुत दुखदायी है अकेले होना। 
मेरा मतलब नहीं है अकेले जीने से 
अकेले होना, जहाँ कोई सुनता नहीं तुम्हारी बात। 
मुझे याद है कुर्सी के लिए प्रयुक्त होने वाला शब्द, 
मैं कहना चाहती हूँ मुझे बस नहीं है अब कोई रूचि उसमें। 
मैं जागती हूँ सोचते हुए 
कि तुम्हे करनी है तैयारी। 
जल्दी ही जवाब दे देगी आत्मा
और दुनिया भर की कुर्सियाँ नहीं कर पाएंगी तुम्हारी मदद। 
मैं जानती हूँ क्या कहते हैं वे जब मैं होती हूँ कमरे से बाहर, 
क्या मुझे किसी से चाहिए सलाह लेना, क्या मुझे लेनी चाहिए 
अवसाद की नई दवाओं में से कोई एक। 
मैं सुन सकती हूँ उनकी फुसफुसाहटें, योजना बनाते कि कैसे बाँटी जाएगी लागत। 
और मैं चाहती हूँ चीखना ज़ोर से 
तुम, तुम सभी जी रहे हो एक स्वप्न में। 
वे सोचते हैं, बहुत ख़राब है मुझे यों क्षय होते देखना। 
बहुत ख़राब है कि वे बच जाते हैं आजकल बिना यह भाषण सुने 
जैसे कि इस नयी सूचना पर मुझे हो कोई अधिकार। 
ठीक, उन्हें भी है यही अधिकार। 
वे जी रहे हैं एक स्वप्न में और मैं तैयारी कर रहीं हूँ 
भूत बन जाने की। मैं चाहती हूँ चिल्लाना 
छंट चुका है कुहासा
यह है एक नए जीवन की भांति: 
तुम्हारा कुछ भी नहीं है दाव पर परिणाम हेतु; 
तुम जानती हो परिणाम। 
सोचो इस के बारे में, एक कुर्सी में बैठे हुए साठ वर्ष और अब मरणधर्मा आत्मा 
चाहती है इतने खुले, इतने निर्भीक रूप से
उठाने को पर्दा। 
देखने को कि तुम किसे कह रही हो अलविदा। 
2. 
मैं नहीं गयी वापस लम्बे समय से। 
जब मैंने फिर से देखा खेत को, बीत चुकी थी शरद ऋतु 
यहाँ, यह समाप्त हो जाती है लगभग शुरुआत के पूर्व ही
बूढ़े लोगों के पास नहीं हैं ग्रीष्म ऋतु के कपडे तक। 
खेत ढक गए हैं बर्फ से, सफ़ाई से। 
क्या हुआ था यहाँ नहीं शेष हैं उसके एक भी निशान
तुम नहीं जानते थे कि किसान कर भी पाया था रोपाई या नहीं। 
हो सकता है वह चला गया हो छोड़छाड़ कर सब कहीं और। 
पुलिस नहीं पकड़ पायी थी लड़की को। 
उन्होंने बताया था कुछ समय बाद, वह चली गयी थी किसी और देश। 
वहाँ जहाँ नहीं है उनका इलाका। 
इस तरह की तबाही 
छोड़ती नहीं कोई निशान धरती पर। 
और लोग पसंद करते हैं यह बात वे सोचते हैं इससे मिलता है 
उन्हें एक नयी शुरुआत का अवसर। 
मैं खड़ी रही देर तक, ताकती शून्य में। 
कुछ समय बाद, मैंने ध्यान दिया कि हो गया था कितना अंधेरा, कितनी ठण्ड। 
एक लम्बा समय मुझे नहीं अंदाज़ कितना। 
एक बार जब धरती ले लेती हैं निर्णय न सहेजने को कोई स्मृति 
समय एक प्रकार से हो जाता है अर्थहीन। 
किन्तु मेरे बच्चों के लिए नहीं। वे पड़े हैं मेरे पीछे 
बनाने को एक वसीयत; वे हैं चिंतित कि सरकार 
हड़प लेगी सब कुछ। 
उन्हें आना चाहिए कभी मेरे साथ 
देखने इस खेत को जो ढका है बर्फ की चादर से। 
सब कुछ लिखा हुआ है वहाँ। 
कुछ नहीं: मेरे पास कुछ भी नहीं उन्हें देने को। 
यह है प्रथम भाग। 
दूसरा है: मैं नहीं चाहती जलाया जाना।