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असफल और बुद्धू विद्यार्थी / कविता भट्ट
Kavita Kosh से
आजकल आँखें पढ़ना
मूर्खता की बात है।
यह आवश्यक होता है सदैव-
प्रेम-आत्मीयता की कक्षा में
अग्रिम पंक्ति का विद्यार्थी
मेरा प्यार- जिसने बहुत रटा
एक-एक पहाड़ा संवेदना का;
किन्तु व्यावहारिक जीवन
की पाठशाला में
विलम्ब से पहुँचने वाला
और इसकी कक्षा की
अंतिम पंक्ति में टाट-पट्टी पर बैठा
असफल और बुद्धू
विद्यार्थी है- मेरा प्यार
भावुक व पगला असफल हुआ सदैव
वह गणितज्ञ भी नहीं
और अर्थशास्त्री तो तनिक भी नहीं...
अब बताओ बिना गणित
और अर्थशास्त्र पढ़े
पेट की आग बुझती है क्या...