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असमय आए / अभिज्ञात
Kavita Kosh से
तुम असमय आए, पर आए
आने का मोल
चुकाऊँ क्या?
मधु रीत गया
घट फूट गए
फेरे बसंत के
ऱूठ गए
मन भग्नप्राय, जर्जर प्रासाद
तुम असमय गाए, पर गाए
गाने का मोल
चुकाऊँ क्या?
हेठी सहकर
अनुबंधों की
तजकर गरिमा
प्रतिबंधों की
मरुथल के मूक निमंत्रण पर
तुम असमय छाए, पर छाए
छाने का मोल
चुकाऊँ क्या?