असुर-निकरक निपात / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
(वृन्दावन परिसर: लीलावतारी रामकृष्ण द्वारा असुर-निकरक निपात)
किछु दिनसँ वृन्दावन घुमइत अछि किछु जन अज्ञात
की निहारइत रहइछ गतिविधि से नहि ककरहु ज्ञात
यमुना-तटमे पथ अवघटमे गुपचुप रहल निहारि
कतहु सुनि पड़इछ दुर्घटना हिंसा ओ बटमारि
एकसर दोकसर देखितहि शिशु बालककेँ लैछ उठाय
खनहु हेराइछ बाछा-बाछी, गोधन लैछ चोराय
काटि लैछ क्यौ राति-विराति जजात, पथिक लुटि जाय
जनी-जातिपर बलात्कारहुक घटना पड़य सुनाय
चंचल भेल वनांचल, शंकाकुल जन-मन आतंक
गाय चराबय जाय यदि च बालक दल, नहि निःशंक
कृष्णचंद्र बलभद्र दुहू मिलि करइत रहथि विचार
अत्याचार बढ़ल, प्रतिकारक सोचि रहल उपचार
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एक दिवस हरि गाय चरबइत रहथि सखागण संग
बंसी टेरथि, ग्वाल-बाल सब ताल देथि अनुषंग
गाय चरय कहुँ बाछा बिचरय, चरबाहिक नहि काज
भरित गोचरक हरित घास दिए बढ़य धेनु निर्व्याज