भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अस्तित्व / रवि पुरोहित
Kavita Kosh से
बाल्यावस्था में
बड्प्पन भाया
जवानी में
लघुता...
दोनों के बीच पाया जब खुद को
आदमी होने का
अहसास ,
अधिक सुहाया
आदमी होने से।
राजस्थानी से अनुवाद: स्वयं कवि द्वारा