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अेक महाभारत और / निशान्त

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अेकर फेरूं खड़या हा
घड़साणै मांय
बांरा ई भाई-बंद
मरण-मारण सारू
जियां खड़या कदे
करूखेतर मांय
पांडुआं रै सांमी कैरूं
बा बात अळगी कै
ओ महाभारत
कीं राज-पाट सारू नीं
लड़ीजै हो
ओ तो लड़ीजै हो
खेतां मांय पाणी सारू
पाणी जकै स्यूं धान निपजै
अर पब्लिक रो पेट भरीजै
पब्लिक जकी मांय
सामिल है सिपाई बी
अर सिपाई नै
हुक्म देवणियां बी
सिपाईयां ईं बात नै
न सोच’र
आप रै फरज री सोच ली
पण फरज भी
इत्तो गिरण री
इजाजत नीं दयै कै
गिरयै पड़यै
बूढै-बडेरै
अर जिनानियां पर बी
लाठी बाईजै
पण फरज रो
पाठ पढयणियां नै
के कैईजै
अर के कैईजै
सत्ता अर
पद रै नसै मांय
आंधा हुयड़ा मिनखां नै
कैवण-सुणन नै
कीं नीं है
बस देखण नै है
नतीजो
जकै मांय पसरी है
दोन्यूं ओर
बरबादी
अर बेइतबारी ।