भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अेक सौ अठाईस / प्रमोद कुमार शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बादळ छाया
-आया
रंगरेज रूड़ा म्हारै देस
चमकै बीज, झमकै केस
-रूड़ो वेस!

माटी आखर सूं मिलै
गुरुदेस गुरुग्यान खिलै
गूंजै घट मांय सबद दरवेस
-छंटै माया
बादळ आया।