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अेक सौ गुणतीस / प्रमोद कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
कीं कोनी मांगूं
-टांगूं
हूं झंडो सफेद इयां ई जांटी पर
काळ आंगळी ना उठावै भोम री खांटी पर
मुसा$फर आवता-जावता
राखसी पतियारो
मिल सकै भावां नैं
अठै सांवठो साहरो
इण वास्तै :
मायड़ रै रंग मांय
-खुद नैं रांगूं
कीं कोनी मांगूं।