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अ-व्याकरण / नवीन रांगियाल
Kavita Kosh से
पहले कुछ नहीं था
न बोलना
और न ही चुप रहना
फिर धीरे धीरे
दुनिया में व्याकरण आया
और फिर पूरी दुनिया की भाषा
ख़राब हो गई
हम फिर लौटेंगे
उसी आरंभ की तरफ
जिसे दुनिया अंत कहेगी
तब न कुछ कहा जाएगा
और न ही सुना जाएगा कुछ
वही अ-व्याकरण वाली शुरुआत
जिसे लोग अंत कहेंगे
एक सुंदर कविता होगी