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आँखों में बीज ख़्वाब का बोने नहीं दिया / ख़्वाजा जावेद अख़्तर
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आँखों में बीज ख़्वाब का बोने नहीं दिया
इक पल भी उस ने चैन से सोने नहीं दिया
अश्कों से दिल का ज़ख़्म भी धोने नहीं दिया
मुझ को ख़ुद अपने हाल पे रोने नहीं दिया
ये और बात है वो मेरा हो नहीं सका
लेकिन मुझे किसी का भी होने नहीं दिया
ग़ुम होना चाहता था मैं ख़ुद अपने आप में
मुझ को तेरे गुमान ने खोने नहीं दिया
शामिल है उस की ज़ात में मेरा वजूद भी
तनहा किसी भी मोड़ पे होने नहीं दिया