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आँगन गीला / रश्मि विभा त्रिपाठी
Kavita Kosh से
1
आँगन गीला
छप- छप आवाज
मन ये सीला!
2
बरखा रानी!
बादल अनुचर
ढो रहा पानी।
3
बूँदें बाँधके
पानी- जड़ी पायल
रहीं उछल।
4
बूँदों ने सही
बिजली की झिड़की
आँसू में बही।
5
बूँदें चंचल
टूटे छप्पर पर
चलातीं नल!
6
लगती मैली
काँधे लटकी थैली
नभ ने धोई!
7
गले लगा ज्यों
मौसम से सावन
आँखों में भादों।
8
बुँदिया नन्ही
आँगन में मस्ती से
नाच- गा रही।
9
सजाके साज
बूँदों ने दी आवाज
नाच लो आज।
10
बूँदें जो हँसीं
घनघोर घटाएँ
आँखों में बसीं।
11
बूँदों की थाप
दामिनी का आलाप
मेघ- मंच पे।
12
घटाएँ काली
बिजली देती गाली
वर्षा रुदाली!
13
ओ बिज्जु बाला!
अम्बर की स्लेट पे
क्या लिख डाला!!
14
सेत खड़िया!
बिजुरी की ओलम
बड़ी बढ़िया।
15
सूर्य कराहा
नभ ने भीगा फाहा
माथे पे धरा।
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