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आँगन भर लोग / कुमार कृष्ण

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मुट्ठी भर तिनके
जब भी होते हैं तबदील झाड़ू में
साफ हो जाते हैं घर
सड़कें, गली-मुहल्ले सभी कुछ
बहुत हैं आँगन भर लोग
ज़मीन की शक्ल बदलने को।