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आँगन में फुदके / प्रियंका गुप्ता

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1
वो हरा पेड़
डोलता तो कहता
मैं दोस्त तेरा
काटा मुझे जो तूने
लगा पीठ में छुरा ।
2
पोपला मुँह
दादी बैठी उदास
चूल्हे के पास
लड्डू-मठ्ठी बाँधती
पोता ले जाए साथ ।
3
हँसती बेटी
आँगन महकाती
बड़ी हो गई
परदेसी हो गई
बाबुल राह तके ।
4
बड़ी बहन
सँभालती छोटी को
बड़ी हो गई
असमय भूली वो
बचपन अपना ।
5
नीम की छाँव
गर्मी की दोपहरी
गुट्टी खेलना
भाई-बहनों संग
जब अम्माँ सो जाती।
6
बिन बात के
लड़ना-झगड़ना
चिल्ला के रोना
फिर माँ की धौल खा
इकठ्ठे बैठ रोना ।
7
भूली न जाएँ
बचपन की बातें
दोस्तों के संग
लड़ना-झगड़ना
फिर एक हो जाना ।
8
बेटी का मन
पराया नहीं होता
न तो पहले,
न शादी के बाद ही
कैसे कहे पराया ?
9
चिड़िया बन
आँगन में फुदके
खिलखिलाए
बहे ठण्डी हवा-सी
दूर देश को जाए ।