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आंख बचाते हो तो क्या आते हो / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
Kavita Kosh से
आँख बचाते हो
तो क्या आते हो?
काम हमारा बिगड़ गया
देखा रूप जब कभी नया;
कहाँ तुम्हारी महा दया?
क्या क्या समझाते हो?--
आँख बचाते हो।
लीक छोड़कर कहाँ चलूं?
दाने के बिना क्या तलूं?
फूला जब नहीं क्या फलूं?
क्या हाथ बटाते हो?--
आँख बचाते हो।