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आंगणो / इरशाद अज़ीज़

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मांड कदैई तो
म्हारै अठै ई
थारा कूं कूं पगल्या
जोवूं थारी बाट
आव, अेकर तो आव!

सूना पड़यो है
म्हारै हिवड़ै रो आंगणो।