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आई रहा कलि भूतल में छाई रहा सब पाप निशानी / गुमानी

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अँग्रेज़ों के ज़माने में कुमाऊँ की समृद्धि नष्ट हो गई। कवि का भावुक ह्रदय कुमाऊँ की दुर्दशा पर कराह उठा-

आई रहा कलि भूतल में छाई रहा सब पाप निशानी ।
हेरत हैं पहरा कछु और ही हेरत है कवि विप्र गुमानी ।