अँग्रेज़ों के ज़माने में कुमाऊँ की समृद्धि नष्ट हो गई। कवि का भावुक ह्रदय कुमाऊँ की दुर्दशा पर कराह उठा-
आई रहा कलि भूतल में छाई रहा सब पाप निशानी ।
हेरत हैं पहरा कछु और ही हेरत है कवि विप्र गुमानी ।
अँग्रेज़ों के ज़माने में कुमाऊँ की समृद्धि नष्ट हो गई। कवि का भावुक ह्रदय कुमाऊँ की दुर्दशा पर कराह उठा-
आई रहा कलि भूतल में छाई रहा सब पाप निशानी ।
हेरत हैं पहरा कछु और ही हेरत है कवि विप्र गुमानी ।