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आखर री औकात, पृष्ठ- 45 / सांवर दइया

नूंवादी कोनी
अंधारो गोठ करै
उजास मरै
०००

बात है खास
काल हरख्या लोग
आज उदास
०००

सात सिलाम
करता बांनै, आज-
पूछै ई कोनी
०००

आभै री छत
कठै ई डर कोनी
हवा री भींतां
०००

बां रै तो मौज
आपां नै खावै भायां
आपणो धीजो
०००