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आखर री औकात, पृष्ठ- 52 / सांवर दइया
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रात अंधारी
चाल चेपां पोस्टर
भोर हुवैली
०००
आंधी, मंडाण
दिसावां काळी, जिद-
जगासूं दीवो
०००
किरणां बोयी
अंधारै री निराई
ऊग्यो उजास
०००
अबै पड़सी
हवेलियां री भींतां
माटी जागगी
०००
अंधारो बैरी
सूरज आज कैद
जोत जगाओ
०००