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आख़िरी ख़त / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
एक साँस का टुकड़ा
एक लहू का कतरा
एक टूटी हुई धड़कन
एक अरमान की कतरन
एक दीद की ख़्वाहिश
एक बच्चे की गुज़ारिश
एक बुझती हुई आँख
एक जलती हुई राख
एक आवाज़ की कूह
एक नुची हुई रूह
एक बरसता हुआ मेह
एक बेकार-सी देह
एक सूखा हुआ आँसू
एक टूटा हुआ गेसू
एक दर्द का क़िस्सा
एक तन्हाई का हिस्सा
एक बेनूर-सी बज़्म
एक नन्ही-सी नज़्म
बाद मरने के मैं छोड़ जाऊँगा
हो सके तो सम्भाल कर रखना