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आखिरी संवाद / राहुल कुमार 'देवव्रत'

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वो कहते हैं
बड़ी फिक्रमंद हूँ
देखो ना कोई भी तो नहीं मानता
अब और कोशिश करना
असंभव-सा जान पड़ता है
बड़ी लाचार हूँ

सुनो!
एक काम मेरे लिए और कर सकोगे?
-क्या?
तुम शांत हो जाओ.
कुछ मत करो
कुछ मत कहो
मैं बड़ी फिक्रमंद हूँ

-चलो चलते हैं
-कहाँ?
-फिक्र करने
सिर्फ उनकी जो हमारे लिए फिक्रमंद हैं

एक अल्फाज क्या निकले
तुम तो यार बुरा ही मान गए.