आखिर कहाँ गये / आर्य भारत
प्रेमिकाओं से बिछुड़े हुए प्रेमी,
आखिर कहाँ गये?
इस सवाल के जेहन में उतरते ही,
चमकने लगतीहै ताजमहल की मीनारें,
खनकने लगती है जगजीत सिंह की आवाज,
और दूर कहीं समुद्र के नीचे
तैरने लगती हैं युगंधर की द्वारिका,
मछलियों की तरह मथुरा की खोज में
लेकिन फिर भी इन अभिशापित प्रेमियों का पता नही मिलता,
तब मैं इतिहास खंगालता हूँ ,
विश्वयुद्ध में मारे गये सैनिकों का इतिहास
क्यूबा में,घाना में,वियतनाम में,फलिस्तीन में,
नेफा में,बस्तर में और अक्साई चीन में,
मारे गये सैनिकों का इतिहास,
देखने लगता हूँ साइबेरिया का तापमान,
हिन्द महासागर की विशाल जल राशि,
प्रशांत महासागर का मेरियाना गर्त
गाजा पट्टी,अफ्रीका,कोरिया का भूगोल
पढने लगता हूँ विज्ञान
नाभिकीय विखंडन के सूत्र
जिससे समाप्त गयी हो नागासाकी की नस्ले,
लेकिन इन गुमशुदा प्रेमियों का पता बताने में
सारे के सारे पन्ने नाकाम हो जाते हैं,
लगता हैं अपने बिछुड़ने का किस्से के साथ
ये प्रेमी भी हाकिंस के ब्लैक होल में विलीन हो गये,
या चले गये किसी अनंत दिशा की ओर मंगल से वृहस्पति होते हुए,
आकाश गंगा के बाहर,
धरती पर किसी भी फैक्ट्री में बिना हड़ताल किये हुए,
इनको रोजगार के नाम पर कारतूस देने वालों,
मैं तुमसे पूछता हूँ ,
प्रेमिकाओं से बिछुड़े हुए ये प्रेमी
आखिर कहाँ गये?