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आखिर क्यों? / असंगघोष

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एक दिया
मिट्टी का
जलता था कभी-कभी
भगवान के आगे
उजियारा बिखेरता

चमकते थे
अपनी रहस्यमयी मुस्कान के साथ
हाथांे में नाना प्रकार के शस्त्रधरित भगवान
मनुवाद को स्थापित करने
युद्ध के लिए सदा तैयार दिखते, पर
किसी भी रोशनी में
कभी भी दिखाई नहीं दिए
शिखाधारियों के
षड्यंत्रों को रोकते
दलितों पर होते दमन को थामते
शस्त्रधारी पत्थरदिल भगवान।