आगरा शहर / रणवीर सिंह दहिया
आगरा शहर क्रान्तिकारियों के शहर की तरह जाना जाने लगा था। आजाद कभी आगरा कभी कानपुर अपने डेरे बदलता रहता था। दूसरों को भी चौकन्ना रहने को कहता था। एक बार एक जगह आजाद फंस जाता है तो कैसे निकलता है। क्या बताया भला:
तर्ज: चौकलिया
आगरा शहर एक बख्त क्रान्तिकारियां का शहर बताया॥
फरारी जीवन बिता रहे चाहते अपणा आप छिपाया॥
कदे झांसी और कदे आगरा मैं आकै रहवै आजाद
जितने दिन रहै आगरा रहो चौकन्ने कहवै आजाद
बारी बारी सब पहरा देते ढील नहीं सहवै आजाद
साथी रात पहरे पै सोग्ये उठकै सब लहवै आजाद
पहरा देने आला साथी फेर बहोत करड़ा धमकाया॥
साथी सुणकै चुप रैहग्या उसकी आंख्या पानी आग्या रै
देख कै रोवन्ता उस साथी नै आजाद घणा दुख पाग्या रै
ड्यूटी पहलम खत्म करादी खुद पै बेरा ना के छाग्या रै
कोली भरली प्यार जताया उसनै अपनी छाती लाग्या रै
अनुशासन और प्यार का आजाद नै जज्बा दिखाया॥
कानपुर मैं दोस्त धेारै आजाद नै कुछ दिन बिताये
कांग्रेसी माणस व्यापारी लेन देन करते बतलाये
सलूनो का दिन पत्नी नै बूंदी के लड्डू बनवाये
परांत मैं भरकै चाल पड़ी पुलिस दरोगा घर मैं आये
पुलिस आले कै बांध राखी उसनै भाई तत्काल बनाया॥
बोली माड़ा झुकज्या नै च्यार लाड्डू उसतै थमा दिये
परांत सिर पै आजाद कै दरोगा जी बेवकूफ बना दिये
इसा बर्ताव देख दरोगा नै सब भेद बता दिये
फिरंगी नजर राखता जिनपै नाम सबके गिना दिये
रणबीर बरोने आले नै यो आजाद घणा कसूता भाया॥