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आगे खुला सवेरा है / प्रमोद तिवारी
Kavita Kosh से
सच है बहुत अंधेरा है
तूफानों ने घेरा है
बीच राह का डेरा है
फिर भी साथी हिम्मत बांधो
आगे खुला सवेरा है।
सीमाओं में बंधा-बंधा
जल का तेवर सधा-सधा
चाहे जितना तेज बहे
पर निर्झर सा कहां बजा
माना सागर गहरा है
युगों-युगों से ठहरा है
सीमाओं का पहरा है
फिर भी साथी हिम्मत बांधो
आगे खुला सवेरा है