आग -सी इक  बुझाने लगा  हूं ,
      ख़त  तेरे  मैं  जलाने लगा  हूं !
     
      भूल कर  मैं तुझे  रफ़्ता-रफ़्ता ,
      अपनी  हस्ती  मिटाने  लगा हूं !
      क्या हकीकत  कहूं,  कैसे सपने ,
      आंख  सब  से चुराने  लगा हूं !
      खो न  जाए  तेरी   मुस्कराहट ,
      अश्क  अपने  छुपाने  लगा  हूं !
      याद  होगा   तुझे,  साथ  देना ,
      गीत  भूला सा  गाने  लगा  हूं !
      टूटे साज़ों पे  क्या  रँग  जमेगा ,
      आदतन   गुनगुनाने  लगा  हूं  !
      नाम  आए  तेरा,  माफ़  करना ,
      हाल  अपना  सुनाने  लगा  हूं  !