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आग में / सांवर दइया
Kavita Kosh से
आकाश में
गिद्धों की तरह तिर रहे हैं
हवाई जहाज़-हैलीकॉप्टर
आग में ओटी हुई बाटी
उथलना भूल जाती हैं
चूल्हे के पास बैठी हुई औरतें
धमाके.... धमाके.... धमाके...
अब बाटी उथलने से क्या होगा ?
अब तो
सब कुछ आग में ही है !
अनुवाद : मोहन आलोक