आग को
आदमी
बनाए है पालतू
अपने लिए
आग अब करती है
आदमी को झुके-झुके
सलाम
आग अब आग
नहीं-
गुलाम
रचनाकाल: २३-१०-१९७०
आग को
आदमी
बनाए है पालतू
अपने लिए
आग अब करती है
आदमी को झुके-झुके
सलाम
आग अब आग
नहीं-
गुलाम
रचनाकाल: २३-१०-१९७०