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आग / श्रीप्रसाद
Kavita Kosh से
दादी चिल्ला करके बोली
मुन्नू, जल्दी भाग
घर के पास बड़े छप्पर में
लगी जोर की आग
कोई पानी लेकर दौड़ा
कोई लेकर धूल
जलती बीड़ी फेंक फूस पर
किसने की यह भूल
छप्पर जला, जले दरवाजे
सब जल गया अनाज
तभी सुनी सबने घन-घन-घन
दमकल की आवाज
घंटे भर में दमकल ने आ
तुरत बुझाई आग
दमकल के ये वीर सिपाही
करते कितना त्याग
आक्सीजन और कार्बन
इनका जब हो मेल
गरमी और रोशनी देकर
आग दिखाती खेल
जाड़े में हम आग तापते
शीत न आती पास
आग बड़ी ताकत है लेकिन
करती बहुत विनाश
छुक-छुक चलती इससे रेलें
चलते हैं जलयान
चमकाती है सारे घर को
दीये की बन शान।