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आछा ई है / सांवर दइया
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कांई ठाह
के बांटणो है
राड़ करतो ई लाधै आदमी
अष्टपौर
जठै देखै
बाढै एक दूजै नै
दूजो तीजै नै
तीजो चौथै नै
लागै-
मरगी अपणायत
गमगी पिछाण
आछा ई है
इक्कीसवीं सदी रा ऐनाण !