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आछी करी रे आछोड़ां / सांवर दइया
Kavita Kosh से
सोनचिड़ी आवै
अबोली जावै
हवा री सोरम
हवा में ई
अमूझ र रह जावै
मुळकै फूल
पण कोई देखै कोनी
आभै में औसरै आडंग
पण किणी रै मन कोड जागै कोनी
पावणा आवै जिण घड़ी
मन कोनी करै थड़ी
रूतां बदळती रैवै रंग
पण कुण देखै
किण रै है अड़ी
आछी करी रे आछोड़ा
परदै सूं प्रीत !