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आज़ादी / रजनी अनुरागी

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कहीं कुछ टूट के बिखर रहा है
लड़ाई दूसरों से नहीं
अपनों से है
मेरे स्वत्व को छीना है अपनों ने ही

जीना है मुझे अपनी ही तरह
और इसके लिए चाहिए आज़ादी
अपनों से ही
और अपने से भी