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आजादी.. / ओम पुरोहित कागद
Kavita Kosh से
जापै मांय
जापायत देस नै
दियोड़ो पींपळामोळ।
जकै नै खाया पछै
हवां नी लागणी चाईजै
पण
उण नै
धोळा न उण री राजनीति री
हवा लाग गी
अर
आजादी
खता खायगी।
अब
हाल ओ है
कै जका नै
आजादी
नांव ठा नी हो
काम ठा नी हो
दाम ठा नी हो
साच पूछो
तो आपरै देस रो
नाम भी ठा नीं हो
कै आजादी मिल्यां
किण धोरी रै
फीत लागै
कुण धोरी रै
कुण धणी ?
पण
अब
बै लोग
कणां‘ई
देस मांगै
कणा‘ई
राज मांगै
कणार्‘इं
नदी मांगै
कणा‘ईं
दरियाव मांगै
कणा‘ईं
आज मांग
कणा‘ईं
काल मांगै
जाण आजादी
आजादी नी
बीकानेर रा
घणमौणियां
दो नम्बर रा भुजिया हैं
अर दारू सागै खाणा है।
जापै मांय
हवा बेयोड़ी
राष्ट्रमाता रा जाया कपूत
अब
गे‘लायां नी करसी
तो काईं करसी ?
आजाद जका है बापड़ा ।