आजादी पाछै बहोत कमाए भारत के किसान कमेरे / रणवीर सिंह दहिया
आजादी पाछै बहोत कमाए भारत के किसान कमेरे॥
ज्यान लगा कै खेत सँवारे कारखाने चलाये शाम सवेरे॥
किसान करी मेहनत तो खेतां मैं फ़सल लहलाण लगी
स्टील थर्मल प्लांट लगाए बिजली घरां मैं आण लगी
स्कूल अस्पताल खुले फेर जनता स्कूल मैं जाण लगी
नेहरू का जमाना बीत गया संकट घड़ी या छाण लगी
आजादी के नेता पाछे नै रैहगे आगै आवण लगे लुटेरे॥
ज्यान लगा कै खेत सँवारे कारखाने चलाये शाम सवेरे॥
पचहत्तर मैं एक दौर यो एमरजेंसी का बी आया था
नशबंदी जबरदस्ती का आड़े गया अभियान चलाया था
मुधे मूंह पड़े ये हिम्माती जनता नै सबक सिखाया था
राज पाट सब बदल दिये जनता का राज बनाया था
बैल गऊ तैं करी कमाई सारी नै ज़िमगे जुल्मी बघेरे॥
ज्यान लगा कै खेत सँवारे कारखाने चलाये शाम सवेरे॥
सब जानैं मेहनतकश की मेहनत खूबै रंग ल्याई सै
किसान ख़टया खेतां मैं अन्न की पैदावार बढ़ाई सै
कारखाने ऊंची सीटी मारैं स्मृद्धि अमीराँ मैं आई सै
सौ माँ तैं पन्दरा मोटे होगे बाक़ी पै सांकै घणी छाई सै
धन दौलत तो घणी कमाई म्हारै बांटै आये पटेरे॥
ज्यान लगा कै खेत सँवारे कारखाने चलाये शाम सवेरे॥
दिनों दिन बढ़ती जावै देश मैं गरीब अमीर की खाई क्यों
म्हारे पैरां पटरी सैं बवाई उनके सैं जहाज़ हवाई क्यों
म्हारे बालक सूकी रोटी खावैं उनके उड़ाते दूध मलाई क्यों
किसा बंटवारा यो देस मैं अडानी अम्बानी पेट फुलाई क्यों
रणबीर बरोने आला कहै घोड़ी खोसी साथ मैं बछेरे॥
ज्यान लगा कै खेत सँवारे कारखाने चलाये शाम सवेरे॥