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आजाद / शर्मिष्ठा पाण्डेय
Kavita Kosh से
धरती पर लिख दो आजाद, अम्बर पर लिख दो आजाद
टूटे सारे बंधन जब, हर बेड़ी पर लिख दो आजाद
नौका पर लिख दो आजाद, लहरों पर लिख दो आजाद
तूफां जब पतवार संभाले, मौसम पर लिख दो आजाद
गलियों पर लिख दो आजाद, नगरों पर लिख दो आजाद
हिन्दुस्तां तलवार ले जब, हर गर्दन पर लिख दो आजाद
सरहद पर लिख दो आजाद, पर्वत पर लिख दो आजाद
शीश हिमालय खड़ा है ताने, चोटी पर लिख दो आजाद
गीता पर लिख दो आजाद, क़ुरान पर लिख दो आजाद
पन्ना-पन्ना एक कहानी, मजहब पर लिख दो आजाद
स्याही पर लिख दो आजाद, कलम पर लिख दो आजाद
शपा खींच आड़ी-तिरछी, हर नक़्शे पर लिख दो आजाद
फूलों पर लिख दो आजाद, शूलों पर लिख दो आजाद
स्व-आहुति लेने वाली, उस गोली पर लिख दो आजाद