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आज आपसे/ ज्योत्स्ना शर्मा

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25
आज आपसे
कहनी हैं दो बातें-
भला या बुरा
कुछ तो कह जाते
सब,प्यारी सौग़ातें ।
26
बुहार दिए
निराशा के पत्रक
जा पतझर !
सुधियों की वीणा है
पाया रस निर्झर !
27
तुम सूरज !
मैं रससिक्त धरा
खूब तपा लो,
मेरे मन यादों का
गुलमोहर झरा ।
28
शर्मीली भोर
उतरी धीरे-धीरे
पूर्व की ओर
लो डाल गया रंग
ये कौन ? हुई दंग ।
29
खेल तो लूँ मैं
होली संग तुम्हारे
ज्यों रंग डालूँ
तुमपे कान्हा ,भीगें
मन,प्राण हमारे ।
30
नया सूरज
नया सवेरा लाए
मन मुस्काए
ख़ुशियों की रागनी
ये मन-वीणा गाए ।
31
उषा मोहिनी
नभ पथ चली ,ले
सोने सी काया
पीछे प्रीत पाहुन
दिवस मुग्ध ,आया ।
32
भोर है द्वार
गाते पंछी करते
मंगलाचार ।
पवन भी मगन
प्रेम वर्षे अपार ।