आज केवल प्रेम लिखना / चंदन द्विवेदी
है तो दिखता गीत जैसा जीत इसकी चाह है
अलहदा-सी सब अदाएँ और मन में आह है
हम पथिक बन जाये लेकिन लक्ष्य तो मालूम हो
प्रेम में मंजिल कठिन है और मुश्किल राह है
प्रेम का प्याला है अमृत, प्रेम ही मधुमास है
प्रेम सम्बल, प्रेम कम्बल, प्रेम से विश्वास है
प्रेम से हारे सभी हैं, प्रेम सबकी जीत है
प्रेम ही है कोई कविता, प्रेम सुन्दर गीत है
प्रेम सुन्दर व्यंग्य कोई प्रेम एक परिहास है
प्रेम नदियाँ, प्रेम पर्वत, प्रेम सबकी सांस है
प्रेम को लिखना कठिन है, प्रेम ऐसी भावना है
प्रेम में ही देवता है, प्रेम पुण्य आराधना है
प्रेम में जीवन ये बीते, प्रेम से ही मौत हो
प्रेम जीवन का हो संगी, प्रेम ही अब सौत हो
प्रेम में कोई मौन है प्रेम कोई लिख रहा है
प्रेम के विविध रूपों को मन हमेशा सीख रहा है
प्रेम सोना, प्रेम जगना, प्रेम में फिर राह तकना
प्रेम मुझको कह रहा है आज केवल प्रेम लिखना