आज खुद से ही ये वादा करिये
नफरतों में ही न सुलगा करिये
दिल लरज जाये नज़र मिलते ही
आप यूँ हम को न देखा करिये
वक्त हर रोज़ बदलता करवट
इन इशारों को भी समझा करिये
हैं बहारें सुना रहीं नग़में
उन तरानों को भी गाया करिये
धूप हर दिन जिन्हें तपाती है
उनके सर पर भी तो साया करिये
ग़र निभाने की नहीं हो हिम्मत
तो किसी से भी न वादा करिये
वक्त से है न कीमती कुछ भी
यूँ ही मत वक्त को जाया करिये