आज जंगल में जीवन नहीं है / राजकुमार कुंभज
कल घर में शांति थी
कल घर में अख़बार नहीं आया था
आज घर में अख़बार आया है
आज घर में शांति नहीं है ।
कल गाँव में अपराध नहीं था
कल गाँव में पुलिस-थाना नहीं आया था
आज गाँव में पुलिस-थाना आया है
आज गाँव में अपराध है ।
कल बस्ती में झूठ नहीं था
कल बस्ती में रेडियो नहीं आया था
आज बस्ती में रेडियो आया है
आज बस्ती में सच नहीं है ।
कल मुहल्ले में गुंडा नहीं था
कल मुहल्ले में राजनीति नहीं आई थी
आज मुहल्ले में राजनीति आई है
आज मुहल्ले में भय रहता है ।
कल समाज में लज्जा थी
कल समाज में टी०वी० नहीं आया था
आज समाज में टी०वी० आया है
आज समाज में पतन है ।
कल मौसम में धूप थी
कल मौसम में बन्दूक नहीं आई थी
आज मौसम में बन्दूक आई है
आज मौसम में साहस नहीं है ।
कल जंगल में बकरियाँ चरती थीं
कल जंगल में दहाड़ नहीं आई थी
आज जंगल में दहाड़ आई है
आज जंगल में जीवन नहीं है ।
रचनाकाल : 2012