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आज देश को नए विचार चाहिए / बलबीर सिंह 'रंग'

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आज देश को नए विचार चाहिए।

आज राष्ट्रमुक्ति के विचार अलग हैं
आज एक दोष के सुधार अलग हैं
एक सिन्धु के अनेक ज्वार अलग हैं
हानि, लाभ, बैर और प्यार अलग हैं

एक दर्द, एक अश्रु-धार चाहिए।
आज देश को नए विचार चाहिए।

एक दीप आँधियों से लड़ न सकेगा
एक मेघ श्वेत व्योम मढ़ न सकेगा
एक बिन्दु धार को न मोड़ सकेगा
एक क्षीण स्वर न राग जोड़ सकेगा

कोटि-कोटि कंठ की पुकार चाहिए।
आज देश को नए विचार चाहिए।

अब न सहन होगी बेबसी की यातना
अन्त स्वयं कर रहा सृजन की साधना
आदमी का काल आज आदमी बना
एक-दूसरे से आज हो रही घृणा

आदमी को आदमी का प्यार चाहिए।
आज देश को नए विचार चाहिए।