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आज हमरा संसार के आनंद उत्सव में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’

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आज हमरा
संसार के आनंद-उत्सव में
शामिल होखे खातिर
नेवता मिललह, निमंत्रण आइल ह।
आज हमार मानव-जीवन
धन्य हो गइल, धन्य हो गइल।
आज हमार आँख
रूप-सुध पी के
अघा गइल
आज हमार कान
दिव्य स्वर सुनके
मता गइल।
एह आनंद-उत्सव मेभें
हमरा के तूं
काम देले बाड़ऽ
बंशी बजावे के
गीत गावे के
एही से आज हम
अपना सब गीतन में
जीवन के रूदन-हस
गाँथ-गँथ गइले
प्राणन के रोअल-हँसल
बंशी में बजाईले।
अब साइत
ऊ समय आ गइल
तहरा आनंद-उत्सव मेभें
शामिल होखे के बेरा हो गइल।
निवेदन अतने बा हे प्रभु,
चाहना हमार अतने बा
कि तहरा एह सभा में जाके
तहरा के हम देखीं
तहार जै जैकार सुनीं।