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आठ / डायरी के जन्मदिन / राजेन्द्र प्रसाद सिंह

ज़िन्दगी का एक दिन भी
सहनशील विकास के
इतिहास से कम नहीं!
एक क्षण भी तो
नहीं एकांत!
बिंदु सारे
बन चुके हैं केंद्र;
कट रहीं
केवल परिधियाँ
दिशा-हीन
अशांत.........!

[१९५०]